शनिवार, 29 मई 2010

स्तनों का जोड़ा

अकसर देखती हूं,
राहगीर, नातेरिश्तेदार
और यहां तक कि
मेरे अपने दोस्तयार...
उन्हें घूरघूर कर देखते हैं,
उन की एक झलक को लालायित रहते हैं...
---
आज मैं
उन लालायित आत्माओं को
कहना चाहती हूं,
जिन के लिए वे अकसर मर्यादा भूल जाते हैं,
वह मेरे शरीर का हिस्सा भर हैं...
ठीक वैसे ही, जैसे
मेरे होंठ,
मेरी आंख
और मेरी नाक
या फिर मेरे पांव या हाथ...
---
इसी के साथ
मैं उन से अनुरोध करती हूं...
मेरे मन में यह संशय न उठने दें
कि मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा...


अनिता शर्मा

67 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति ,जो सन्देश दे रही है की नारी शरीर को सम्मान और प्रतिष्ठा की नजर से देखना चाहिए न की बुडी नजर से |

36solutions ने कहा…

मैं उन से अनुरोध करती हूं...
मेरे मन में यह संशय न उठने दें
कि मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा...


चिंतन गहरा है. आभार.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

शायद नारी सिर्फ नारी नहीं होती.
पुरुष की एक विशिष्ट नज़र इसे विशिष्ट वस्तु बना देती है. शायद यह प्राकृतिक है.

यह मर्यादा और विवेक ही है कि सामान्य मनःस्थिति में सभी से एक समान व्यवहार होता है.

nilesh mathur ने कहा…

अनीता जी, बहुत दिनों बाद आपकी ये रचना आई है, बहुत ही सुन्दर और बेबाक अभिव्यक्ति है, और साथ ही एक तमाचा है समाज के मुह पर, इतना लम्बा अंतराल ना दें, आपकी रचनाओं का हमें इंतज़ार रहता है!
www.mathurnilesh.blogspot.com

M VERMA ने कहा…

मेरे मन में यह संशय न उठने दें
कि मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा...
नारी को नारी की सम्पूर्णता तक कतिपय ही अवलोकित कर पाते हैं
सुन्दर रचना... आंदोलित करती सी

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गहरी अभिव्यक्ति ....

मेरे मन में यह संशय न उठने दें
कि मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा...

मानसिकता को बताती रचना

श्यामल सुमन ने कहा…

एक सशक्त अभिव्यक्ति।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

nadeem ने कहा…

आज मैं
उन लालायित आत्माओं को
कहना चाहती हूं,
जिन के लिए वे अकसर मर्यादा भूल जाते हैं,
वह मेरे शरीर का हिस्सा भर हैं...
ठीक वैसे ही, जैसे
मेरे होंठ,
मेरी आंख
और मेरी नाक
या फिर मेरे पांव या हाथ...


यहाँ आपकी कोशिश बेहद साहसी और सराहनीये है.

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut umda baat kahi aapne yah insan ki fitrat hoti, http://sanjaykuamr.blogspot.com/

Vinay ने कहा…

नारित्व को उदय करती कविता सोचने पर मजबूर करती है

बेनामी ने कहा…

वेदना जरूर है यह परन्तु इसे कविता कहना मुश्किल है। कविता में अगर कलात्मकता नहीं है तो वह महज एक स्टेटमेंट बन कर रह जाती है।

बेनामी ने कहा…

बात तो बिल्कुल खरी और सच्ची है साथ ही ये भी कहूँगा कि यदि आप नहीं चाहतीं तो कोई माई का लाल आपको वो समझने हिम्मत नहीं कर सकता (अपवादों को छोड़कर जो हर जगह होते हैं) - दबंग रचना के लिए बधाई

माधव( Madhav) ने कहा…

सुन्दर रचना... आंदोलित करती है , दिल को अन्दर तक झकझोर रही है

Arvind Mishra ने कहा…

मगर ऐसा है क्यूं ?

Lalit Kumar ने कहा…

हालांकि सत्य हर किसी की तरह मैं भी जानता हूँ लेकिन जिस तरह से यह रचना सत्य को उजागर कर रही है उससे अपने समाज के प्रति निराशा का भाव मन में आ रहा है। "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता" जैसे कथनों को हम भूल चुके हैं।

बेनामी ने कहा…

achchi abhivkyati todhaa kalatmak hoane ki jarurat haen bas

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अच्छी और कलात्मक कविता है। शीर्षक कुछ और हो सकता था।

Ra ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ra ने कहा…

माफ़ी चाहूँगा शीर्षक कुछ ....निम्न्कोटी का सा है ..कुछ और भी हो सकता था ...पर जो भी हो आपकी विचारणीय रचना पर अधिक कुछ नहीं कह सकता बस कल ही रचित रचना की कुछ पंक्तिया दे रहा हूँ

मंदिर चढ़कर गला फकाड़े, नित-नित खाए शेर प्रसाद,
श्याम ढले घर, तंग अंगिया पे, टप-टप टपके नीत।

बेगानों के जहन में आये, सगे उधेड़े मखमली ओढ़नी,
पिता बना दुशासन चीर का, पल्ला पकडे आँचल गीत।

अश्व-असि से छांग-छांगकर भर लो सारे मुंड अजेय,
प्रेम की चुटकी, छुप के काटो, इस से बड़ी ना जीत।
ठीक लगे तो ब्लॉग पर आकर पूरा पढना
http://athaah.blogspot.com/

राजकुमार सोनी ने कहा…

जितने लोगों ने ऊपर आपको कलावादी बनने की सलाह दी है उनसे मेरा यही आग्रह है कि सच को सच के साथ देखने की आदत डालनी चाहिए। आपने एकदम सही लिखा है। अमूमन औरतों के बारे में पुरूषों के यही नेक विचार रहते हैं जिसका वर्णन आपने किया है। पुरूष जब अपनी मां को देखता है तब वह उसको भारतमाता दिखाई देती है लेकिन जो उसकी मां नहीं होती वह उसको बिपासा बसु समझने में वक्त जाया नहीं करता। भूल जाता है कि जिन स्तनों को वह घूर रहा है वहां से कभी दूध की नदीं फूटेगी और फिर बच्चे की आंत में जाकर बहेगी। मुझे तो आपकी रचना बेहद शानदार लगी। बिना लाग लपेट के सीधी सच्ची बात कहने के लिए कलात्मकता की जरूरत नहीं होती और फिर एक अच्छी रचना को हम कला की चाशनी में डूबा-डूबाकर मारने की सलाह देने वाले होते कौन है। क्या हम अशोक बाजपेयी के रिश्तेदार है। आपको बधाई। यूं ही लिखते रहे।

कडुवासच ने कहा…

...अदभुत भाव !!!

बेनामी ने कहा…

कविता कहाँ है?

बयान या नारेबाजी है यह।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

राजकुमार जी ने काफी हद तक सही कहा... रचना बहुत पसंद आयी..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

क्या कहूं

बेनामी ने कहा…

शुद्ध बकवास है यह। पापुलर होने का घटिया तरीका।

प्रवीण ने कहा…

.
.
.
बहुत बोल्ड अपील-स्टेटमैंट सा है... कविता शायद नहीं ही कहेंगे इसे।

दैहिक आकर्षण एक हकीकत है... नारी देह पुरूष को व पुरूष देह नारी को आकर्षित करती है... पर यह भी एक दौर होता है... इस दौर से उबर जाता है हर कोई...

हो सकता है आपका अनुभव रहा हो ऐसा... पर पूरी जिंदगी मैंने अपने संपर्क में आने वाली किसी भी नारी के मन में ऐसा संशय उठते नहीं देखा...

आभार!

नरेश चन्द्र बोहरा ने कहा…

आज का समाज एक ऐसी राह पर चल रहा है जिस पर नारी को केवल एक प्रदर्शन का पात्र समझा जाता है. कभी कभी लगता है कि क्या यह वो ही भारत देश है जहां नारे को देवी का रूप दर्जा प्राप्त है? आपकी कविता बहुत ही सटीक लगी. बहुत बहुत बधाई.

मिलकर रहिए ने कहा…

http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post.html जिस्‍म पर आंख।

इस कविता से प्रेरणा पाकर मैंने अपना ब्‍लोग बनाया है। कृपया मुझे मार्गदर्शन दीजिए।

Shekhar Kumawat ने कहा…

jabardasti apni bhavna ko udelne ka prayash he magar achha he aap ke sahas ke liye aap ko badhai

उम्दा सोच ने कहा…

स्तनो का जोडा हमे बहौत आकर्षित करता है और करता रहेगा।
पैदा होने के बाद अगर हमने सबसे पहले धरती पर कुछ पहचाना है तो वो है "स्तनो का जोडा" !!!

Ra ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ra ने कहा…
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Ra ने कहा…
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बेनामी ने कहा…

मैं तो ब्लोग्वानी पर पोस्ट का नाम देखकर आया था लालची ब्लोगर जो हूँ ..बढ़िया है सब मेरे जैसे यही मिले सब झूंठे है अब आप ही बताओ सब को माँ बहन समझ लूं तो गुज़ारा कैसे करूँगा और अगर किसी से बहन कह भी दिया तो नाराज़ ही होगी खुश नहीं अब मेरी नज़र कहीं जाती है तो मेरा क्या कस्सर पापी मन तो ऐसा ही है अब कालेज - काम पर जाती लड़कियों को देखकर माफ़ करना कपड़ो को देखकर लगता है की कहीं कुछ झांकने की जरूरत है सब कुछ को तो अपने-आप नज़र आता है पहले ऐसा नहीं था कपडे अच्छे थे तो लोग भी अच्छे थे अप कपडे तंग तो सब दंग और ऊपर टिपण्णी करने वाले सभी महानुभाव ऐसे ही है इन्हें मर्दों के राज़ अच्छे से पता है खुद भी ऐसे ही है किसी लड़की या महिला ब्लोगेर की पोस्ट पर ट्रक भर टिपण्णी डाल जाते है चाहे कांदे ही फोड़े हो रचना के नाम पर और फ्लोवेर्स बन कर चिपके रहते है रोज़ चुना लगाने के चक्कर में सब के सब दोमुहे करतेकुछ कहते कुच्छ अनीता जी आपकी रचना आपने दम से लिखी है इस कमेन्ट को मिटाए नहीं आपने अपने मन की कही मैंने मेरे की मैं कोई बेनामी नहीं जनापह्चना चेहरा हूँ नाम इसलिए नहीं लिखा की डरता हूँ इसलिए की पापी हो या धर्मी सबकी इज्ज़त करता हूँ

बेनामी ने कहा…

आपका खूब ध्यान जाता है कौन कहाँ देख रहा है ...जब सब अंग एक जैसे ही है तो फिर आप को आपत्ति क्यूँ ??????????????????????? {सबसे बड़े कमेन्ट वाले बेनामी का सौतेला भई } अभी-अभी पैदा हुआ हूँ

Naradmuni ने कहा…

ये सारे लड़कीबाज़ ब्लॉगर सड़ी हुई रचनाओं की फालतू तारीफ कर अच्छी लडत्रकियों को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। अरे भई खराब कविता है तो खराब कहो ना। लड़कियों से लटपटाना कब बंद करोंगे। अनिता बहन तुम्हारी यह कविता घटिया है घटिया ही रहेगी।
नारदमुनि

बेनामी ने कहा…

जिनके हैं वे कविताएँ लिख रहीं हैं। जिनके नहीं हैं वे क्या करें?

बेनामी ने कहा…

मेरी एक पड़ोसन ने मेरी बीबी से कहा कि तुम्हारा आदमी मेरे स्तनों के जोड़े को घूरता रहता है। मेरी बीबी ने कहा कि तुम्हे कैसे मालूम? पड़ोसन ने कहा कि मैंने तुम्हारे पति की आंखों में आंखें डाल कर, नज़रों का पीछा करके देखा है कि वह कहाँ देख रहा है

हा हा हा हा हा हा

हंसने की बात नहीं है मूर्खों, समझने की बात है

और जितने भाई लोग,उनकी बहनें यहाँ तारीफ कर रहे हैं,वे चाह्ते हैं कि आप ऐसे ही सॉफ़्ट पोर्न वाला कुछ लिखते रहें।देख लीजिएगा,यही लोग एक दिन आपको 'वो' डिक्लेयर कर देंगे। तीन साल में 27 पोस्ट आई है आपकी।अभी आपको इस ब्लोग की दुनिया को समझने मे बहुत समय लगेगा।
एक चेतावनि दूं?सावधान रहिये
अभिव्यक्ति के नाम पर ये सब मजा लेने वाले हैन

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Virodh karne ka tarika kuch aur bhi to ho sakta hai.
Addami se jyada doshi koi aur bhi hai.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

behn anitaa ji aapne is yug men ldki hokr nngaa sch likhne kaa saahs kr purush vrg ko shrmindaa krte hue nyi sikh di he vese hmaari maan sbsde pehle hmen dudh isi se pilaati he aap ne bhut bhut saahsik qdm saaf suthre shbdon men uthaayaa he iske liyen krodon drod baar bdhaai. akhtar khan akela kota rajsthan myh hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com he

yugal mehra ने कहा…

मैं श्री बेनामी जी से इत्तेफाक रखता हूँ की जब सब अंग एक जैसे हैं तो फिर ऐतराज़ क्यूँ? इश्वर ने स्त्री और पुरुष दोनों की भिन्न क्यूँ बनाया है, ताकि वे एक दुसरे से आकर्षित हों? क्यूँ सेब खाते ही अदम को अपने नग्न और हव्वा से भिन्न होने का पता चल और आकर्षित हुआ ?

बाकी अगर कोई पुरुष आपके पोस्ट पर आकर सच बोल रहे है या झूठ ये तो सभी जानते हैं

बेनामी ने कहा…

लानत भेजने को दिल कर रहा हूँ सो भेज रहा हूँ कविता को स्वीकारे रचियता जी

nilesh mathur ने कहा…

ये इतनी टिप्पणियां आपकी सफलता को दर्शा रही है, बेनामी जी के मुह पर शायद आपकी इस रचना से बहुत जोर का तमाचा लगा है! अरे भैया जब अनीता जी में इतना सहस है तो आप तो मर्द हो कम से कम बेनामी बन कर तो टिप्पणी मत करो!

Unknown ने कहा…

सच को सच के साथ देखने की आदत डालनी चाहिए। आपने सही लिखा है। औरतों के बारे में पुरूषों के यही नेक विचार रहते हैं जिसका वर्णन आपने किया है। आपकी रचना बेहद शानदार , बिना लाग लपेट के सीधी सच्ची बात कहने के लिए आपको बधाई। यूं ही लिखते रहे।

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

aap sabhi ko dhanywad dena chahti hun, jin benami ji ne lant bheji hain, unki lanat bhi sweekar karti hun. mene kisi ki bhi tippani aswikar nhi ki. aap swtantr rup se har tahar ki tippani de sakte hain.


ha ek bat kehna chahungi,,, meri rachna baddi nhi he meri bhavnao ka shuth rup hain... aap ise chahe jese le...

mere liye yeh theek vesi hi he jese meri dusari rahnaye jo achhi ya buri kesi hi bhi ho lekin mere man ki kori bate hain.

Aneeta Vashishta

श्रद्धा जैन ने कहा…

Teekhi hai aapki kalam, bahut achcha laga padhna

श्रद्धा जैन ने कहा…

Teekhi hai aapki kalam, bahut achcha laga padhna

संजय पाराशर ने कहा…

कहने को और क्या-क्या है आपके मन में ...........
अगले ब्लोगों में अवश्य लिखना.....हम शुद्ध रूप से जान पाएंगे
आपके कितने चक्र सक्रीय हो चुके हैं ......

बेनामी ने कहा…

har likhne wale ki apni ek shaili hoti hai aapki shaili bahut bebak hai
khud ko kabhi mat chhodiye

बेनामी ने कहा…

स्तन सौन्दर्य के प्रतीक है. पुरुष या विपरीत लिन्गी के आकष्रण का केन्द्र बिन्दु है, यह शाश्वत सत्य है और आकष्रण से ही स्रष्टि है...

SanjayRpanchal ने कहा…

स्तन सौन्दर्य के प्रतीक है. पुरुष या विपरीत लिन्गी के आकष्रण का केन्द्र बिन्दु है, यह शाश्वत सत्य है और आकष्रण से ही स्रष्टि है...

बेनामी ने कहा…

Achcha laga ye dekhkar ki aapki nazron me tippani ki ahmiyat hai, nam ki nhi. Lihaza ek benami tippani kar raha hun jo sirf is Rachna se sambandhit nhi hai bulki aapki anya rachnao se bhi sambandhit hai.. Aapki rachnaon me स्तनों, बलात्कार, हस्तमैथुन, वीर्य, मसिक धर्म, अवैध स्पर्श, भोगी स्पर्श ityadi SEX se jude shabdo ki adhikta dekh raha hun. Aapko azadi hai in shbdon ke istemal ki aur inhe 'Bold' 'Bebak' 'Nayapan' aadi shabdon se saraha bhi gya hai.. Par aapki kuch rachnao me ye shabd nhi hain.. Mujhe wo rachnayen behatar lagi. Koshish kijiye ki man ke bhawon ko susanskrit shabdo ke istemal ke sath ek kaviyitri ki tarah pesh karen. Shukriya.

बेनामी ने कहा…

uper likh is benami comment ke liye ek udahran dene ka sahas kar raha hun, jo ki maine ek shri man ke blog se liya hai gour kijiyega

http://alakshit.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html

Main uper likhe comment se kuch had tak sahmat hun, shabt chayan aapko kavita me nhi uchaiyan de sakta hai..

aapne un pahluon ko ujagar kiya hai, jin par comment karne ke liye bhi sahas ki jarurat hai. Uper likhe comment me aapke liye virodh kum aur sarahna adhik lagti hai. Ho sake to shabd chayan ko improve karen.

udaya veer singh ने कहा…

priy aneeta ji ,
aapki samvedana aaj ke daur men
jayaj hai ,vikritiyon se bachate huye
aapni bhavnaon ka nirupan sarthak shabdon men abhvyakt karna maryadit sima men prakharta prapt karta hai .
aapke udgar shat-pratishat manveeya hain hain ,vicharniya hain . sanyamit shabdon ka prayog vanchhit hai .
mukhar pratikaran ke liye sadhuvad .

Arun sathi ने कहा…

ओह.... बहुत ही दर्दभरी अभिव्यक्ति। पर कुछ बंधुओं को बुरी लगी, आपने उन्हें लानत के लिए धन्यवाद भी दिया।....

जो भी हो... आपने अपने दिल की बात को अहिस्तें से ऐसा रखा कि सभी को मिर्च लगा दी।

वास्तव में रचनाधर्मिता यही है कि लोग सोंचने पर विवष हो जाऐ।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

Arun sathi ने कहा…

आपकी रचना पढ़वाने के लिए चर्चा मंच का दिल से आभार

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

एकदम सशक्त और बिलकुल सही बात कही आपने.

एक अनुरोध भी--कृपया अनर्गल टिप्पणियों को हटा दिया करें.

सादर

डा० अमर कुमार ने कहा…


शीर्षक तनिक भड़काऊ है, अन्यथा इस रचना की बेबाकी सराहनीय है ।

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

nissandeh nari ko bhi smman ki drishti se dekha jana chahie vasna ki drishti se nhin
sahityasurbhi.blogspot.com

shyam gupta ने कहा…

"और जितने भाई लोग,उनकी बहनें यहाँ तारीफ कर रहे हैं,वे चाह्ते हैं कि आप ऐसे ही सॉफ़्ट पोर्न वाला कुछ लिखते रहें"----benaamee kee yah baat hee saty hai...

--एक दम अनावश्यक, बेतुका--स्टेटमेन्ट है...

Pradeep Kumar ने कहा…

itni saari tippani dekh padh kar ye to pataa chal gaya ki aapki bhavnaayen sabne samjhi hain kise achchhi ya kise katu lagi ye bhi unki tippaniyon se hi zahir hai. sab kuchh chhodkar sirf kavita ke baare me kahoon to achchhi aur sachchi kavita hai

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

kadwa sach,,,
aapka bebaak lekhan sarahniy hai.

नवीन पाण्डेय 'निर्मल' ने कहा…

कमाल है, इतना असरदार लेखन। अफसोस हो रहा है कि पढ़ने में इतना विलंब क्यों कर किया। बधाई.

soma ने कहा…

your feelings are true and whatever the message you want to deliver u have succeeded in that so congrats, but personally i don't like it because there are several ways to oppose not as you did it. A writer is an inspiration for people and they have power to mold there mentality,we are mature person so we can understand it but who are immature how would they adopt your view? so take care while writing such ariticles specially using such harsh words.......

Baljeet singh ने कहा…

benami ji sahi kah rahe hain apni niji bhavnayein likhhna hi kavita nahi hai. angvishesh to mardon ke bhi hote hain aur mahilayen unhen dekhti hain par woh kunthit nahin hote.

Durgesh singh ने कहा…

aneeta ji badhai..... benaami ji nam ke janwar ke liye ye lines
नज़र भरकर न गर देखूं तो तुम फ़रियाद करते हो,
तुम्हें जब भूल जाती हूँ पलटकर याद करते हो,
करोगे किस तरह आख़िर सनम इज़हार उल्फत का,
हमारा ज़िक्र तक तो तुम हमारे बाद करते हो..
benaami ji shayad aap un insaano ki line mein aate ho jisko chichora, chavnaa,bekaar, nirllajj, kaha jata hein...kyuki aap jaise logo ke koi muh nahi lagta bas aap jaise log jab bhediyo ki nazar daal kar jaate hein to aapka zikr hota hein ki kitna kammena insaan hein jo bhediyo si nazar rakhta hein

बेनामी ने कहा…

कि मैं नारी हूं या महज स्तनों का एकजोड़ा... ?


सवाल साफ़ है पर है अट्पटा
लेख अजब है पर है चट्पटा
लेख मे कुछ मिठा कुछ है खट्टा


बिना स्तनो के नारी कल्प्ना है भारी
बिना स्तनो के नारी है विमारी

इस बिमारी पे एक जन हित जारी
स्तन सौन्दर्य प्रदर्शन है
स्तन हि नारी का असली दर्पण है
सुन्दर स्डोल स्तन मन मोह लेते है
न बोल कर भी दिल की बात बोल देते है

उस नवजात से पुछो
बिना स्तन जी सक्ता था
बिना स्तन दुध पी सक्ता था
बिना स्तनो के मा क्या पिलाती

जब मै जवान हो रहा था
लड्कियो के लिये परेशान था (god gifted)
कुछ लड्किया भी महान थी
लद्को के लिये परेशान थी (god gifted )

उन्के दो काम बडे आम थे
लड्को के वव्हार पे परेशान दिखना (वव्हार = chedkhaniya )
और
लड्को को दुपटा गिरा कर परेशान करना

चलिये हटाइये काम कि बात पे आइये
कितने महान भाव ,कितने महान विचारो से ,
कितनी महन सम्वेद्ना वक्त कर रहे है,
एसा लग रहा है कि
ये बोल्ग नहि स्तनो का जोडा है
ये विचार नही हाथो से स्तनो को छेडा है
कुछ दोस्त बनकर कुछ बेनांमी बन कर,

तुम एक अजब पहेली हो
समाज से ह्टकर एकदम अकेली हो

--(मै कौन हू ?)

पता नहि कि मै कौन हू ..............

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम कि‍स्से मुझे फि‍र से सुनाना. और पूछना मुझसे क‍ि हुआ कुछ ऐस...