बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना...
बैठना घड़ी भर को संग,
वो तमाम कि‍स्से मुझे फि‍र से सुनाना.
और पूछना मुझसे
क‍ि हुआ कुछ ऐसा ही संग मेरे भी?
तुम कुरेदना उन जख्मों को,
क‍ि कुरेद-कुरेद कर उन्हें फि‍र नासूर बनाना.
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना...


क‍ि दूर से मुस्कुराते इन चेहरों के करीब आकर,
जब तुम इन्हें मरा हुआ पाओगे,
तो सहम मत जाना,
तुम अभी तक नहीं जानते शायद,
सब मर चुके हैं, जीने का तो बस नाटक ही कर रहा है सारा जमाना...
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना

तुम में अभी जान बाकी है,
न मरने का या लड़ने का खूब अरमान बाकी‍ है,
गर तुम्हारे छूने से ये हो सके तो अच्छा,
कि‍ आते-आते कि‍सी मरासन में नई जान डालते आना
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ तो मेरे पास चले आना

डरो नहीं, थक कर बस आराम क‍िया जाता है,
कुछ देर ठहरना,
रोना और रोकर सारे गिले श‍िकवे भुलाना,
फ‍िर तुम बस बिन ठहरे मुस्कुराते ही रहना...
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना

हो सकता है क‍ि टूट जाएं तमाम सपने,
रूठ जाएं तुमसे तुम्हारे सबसे अपने,
टूटने दो, रूठने दो, रहने दो, छोड़ो भी,
कहां कोई तुम्हारे साथ आया था और कहां किसी को है साथ जाना?
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना

जब कभी खत्म हो रही हो कोई कहानी,
तुम उदास हो लेना ज‍ितना चाहे जी,
पर सुनो, इस उदासी के बाद
तुम बैठ कर कुछ नए क‍िस्से जरूर बनाना
क‍ि जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना

छोड़ देना तमाम भूलों को,
तोड़ देना तमाम शूलों को,
गर ज्यादा सताए कोई दर्द तुम्हें,
तो छेड़ देना वही अपना तराना पुराना
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना

उंगल‍ियों के सांचे पर बुनेंगे हम,
खुश‍ियों का ताना-बाना,
कभी करीब, तो कभी दूर
यकीन मानों कहां जानता है कोई?
हमसे ज्यादा ज‍िदंगी सजाना...!
क‍ि जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास जरूर चले आना...


- तुम्हारी अनु

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जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम कि‍स्से मुझे फि‍र से सुनाना. और पूछना मुझसे क‍ि हुआ कुछ ऐस...